Mahatma Gandhi in Hindi || श्रद्धांजलि
Mahatma Gandhi in Hindi || श्रद्धांजलि: भारत के इतिहास में 30 जनवरी के दिन को दुखद दिन माना जाता है। साल 1948 को अहिंसा के पुजारी राष्ट्रपिता महात्मा गांधी(Mahatma Gandhi) जी की हत्या की गई। 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में जन्म हुआ मोहनदास करमचंद गांधी जी का ।

करमचंद गांधी जी ने पूरी दुनिया को सत्य और अहिंसा का पाठ पढ़ाया। उनके द्वारा चले गए अहिंसा आंदोलन भारत को आजादी दिलाने में अभूतपूर्व भूमिका निभाई ।कोई हजारों वीरों की वजह से हमारा देश 1947 में आजाद (Freedom) हो सका था । इसीलिए उन्हें पूरे दुनिया अहिंसा के पुजारी के रूप में जानती है ।
Mahatma Gandhi in Hindi || शांतिपूर्ण आंदोलन
Mahatma Gandhi in Hindi || शांतिपूर्ण आंदोलन: उन्हें भारतीयस्वतंत्रता आंदोलन के एक प्रमुख राजनीतिक और आध्यात्मिक नेता की रूप में सदैव याद रखा जाएगा। गांधी जी के नेतृत्व में चले गए अहिंसक और शांतिपूर्ण आंदोलन में सत्याग्रह ,असहयोग आंदोलन, चंपारण सत्याग्रह , स्वराज और नमक सत्याग्रह, दलित आंदोलन और भारत छोड़ो आंदोलन प्रमुख है।
आज हम आजाद भारत में सांस लेते हैं क्योंकि अंग्रेजों से हमें 15 अगस्त 1947 को आजादी मिली थी। देश को आजाद कराने के लिए ना जाने कितने ही लोगों ने अपना जीवन बलिदान कर दिया था। हालांकि यहां भी आजादी के लिए लड़ने वाले खासकर दो अलग अलग विचारधाराओं में वाटे हुए, जिनमें से एक तरफ वह लोग थे ।

जो आजादी को अपनी ताकत के दम पर आजादी को लेना चाहते थे ,तो वहीं कुछ लोग शांति पूर्वक अहिंसा के मार्ग पर चलते हुए आजादी हासिल करना चाहते थे और इन्हें अहिंसक वादी लोगों में से एक थे। राष्ट्रपिता कहे जाने वाले मोहनदास करमचंद गांधी । हम सभी आमतौर पर महात्मा गांधी नाम से जानते हैं। गांधी जी भारत के इतिहास के वह व्यक्ति यह देश के लिए अंतिम सांस तक लड़ाई किए हैं।
Mahatma Gandhi in Hindi || परिवार
Mahatma Gandhi in Hindi || परिवार: गांधी जी का पिता जी का नाम करमचंद गांधी और मां का नाम पुतलीबाई था। हालांकि भले ही गांधीजी पोरबंदर शहर में पैदा हुए थे, लेकिन जन्म के कुछ साल बाद ही उनका परिवार राजकोट में रहने लगा। फिर गांधीजी की शुरुआती पढ़ाई वहीं से हुई थी ।
9 साल की उम्र में पहले बार स्कूल जाने वाले गांधीजी शुरू से ही काफी शर्मीले थे। वह बचपन से ही किताबों को अपना दोस्त मानते थे। फिर आगे चलकर 13 साल की उम्र में ही उनकी शादी उनसे 1 साल बड़ी लड़की कस्तूरबा से हो गई ।
दरअसल भारत में उस समय सादिया काफी छोटी उम्र में ही हुआ करती थी ।हालांकि आगे चलकर गांधीजी जब 15 साल के थे तब उनका पिता का निधन हो गया, फिर पिता के निधन के 1 साल बाद ही गांधीजी की पहली संतान भी हुई,
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Mahatma Gandhi in Hindi || study
Mahatma Gandhi in Hindi || study: लेकिन दुर्भाग्य से जन्म के कुछ समय बाद ही बच्चे की मृत्यु हो गई थी। इस तरह से गांधी जी के ऊपर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा हालांकि इन कठिन परिस्थितियों में भी गांधीजी ने खुद को संभाला ।फिर 1887 में अहमदाबाद से उन्होंने हाई स्कूल की पढ़ाई पूरी की थी

और फिर आगे चलकर कॉलेज की पढ़ाई करने के बाद लंदन जाकर लॉ की पढ़ाई की, हालांकि 1888 में गांधीजी दूसरी बार पिता बने और इसी वजह से उनकी मां नहीं चाहती थी वह अपने परिवार को छोड़कर कहीं दूर जाए।
Mahatma Gandhi in Hindi || Biography
Mahatma Gandhi in Hindi || Biography: लेकिन कैसे भी करके उन्होंने अपनी मां को मनाया। फिर 4 सितंबर 1888 को लंदन पढ़ाई के लिए वह चले गए और फिर 1891 में पढ़ाई पूरी करके अपने वतन भारत वापस आ गए । हालांकि विदेश में पढ़ाई करने के बावजूद भी भारत आने पर उन्हें नौकरी के लिए काफी परेशान करनी पड़ी।
फिर 1893 में दादा अब्दुल्ला एंड कंपनी (Dada Abdullah And Company) नाम की एक भारतीय कंपनी में एक नौकरी मिली । इस नौकरी के लिए उन्हें साउथ अफ्रीका जाना पड़ा। साउथ अफ्रीका की बिताए गए दिन गांधीजी के जीवन के सबसे कठिन समय में से एक था क्योंकि वहां पर उन्हें भेदभाव का काफी सामना करना पड़ा।
Mahatma Gandhi || Join Indian National Congress
Mahatma Gandhi || Join Indian National Congress : इन्हीं कारणों से गांधीजी लड़ने के लिए समर्थ हुआ था। इसी दौरान उन्होंने नटाल इंडियन कांग्रेस (Natal Indian Congress) की स्थापना की थी और अफ्रीका में रहते हुए गांधीजी ने एक निडर सिविल राइट्स एक्टिवेट के रूप में एक पहचान बना ली थी। और श्री गोपाल कृष्ण गोखले (Shri Gopal Krishna Gokhale) जोकि इंडियन नेशनल कांग्रेस की एक सीनियर लीडर थी उन्होंने गांधीजी से भारत वापस आकर अपने देश को आजाद करवाने के लिए लोगों की मदद करने की बात कही थी।

और इस तरह से 1915 में गांधी जी भारत वापस आ गए । फिर यहां आकर गांधीजी इंडियन नेशनल कांग्रेस (Indian National Congress) ज्वाइन करके भारत की आजादी में अपना सहयोग शुरू कर दिया था और भारत के अंदर कुछ सालों में वह लोगों के प्रिया नेता बन गए थे । फिर अहिंसा मार्ग पर चलते हुए उन्होंने भारत के लोगों में एकता की गांठ बांध दी थी । इसी तरह गांधीजी का संग्राम आगे बढ़ते गया था।