Bhagwan Hote Hain Ya Nahin || क्या भगवान सच में होते हैं ?

 Bhagwan Hote Hain Ya Nahin || क्या भगवान सच में होते हैं ?

क्या भगवान है? भगवान को क्यों माने? भगवान का कैसा रूप ?क्या ईश्वर का अस्तित्व है या नहीं?  भगवान अल्लाह ईश्वर होते हैं या नहीं?यदि दुनिया में कुछ  तर्क की विषय है तो भगवान की विषय में ही है। यह विषय जानने के लिए सैकड़ों लोग उत्सुक रहते हैं। क्योंकि भगवान को दिखाया नहीं जाता है।

असल में भगवान किसी के अनुसार एक शक्ति है तथा सहारा है और किसी के अनुसार भगवान तो होते ही नहीं । केवल मात्र भगवान एक नाम ही है। इस विषय पर चर्चा करते हुए वैज्ञानिकों के अनुसार भगवान क्या है इनका विचार क्या है, सब कुछ आज हम आपके साथ प्रस्तुत करने की प्रयास करेंगे। इसलिए आप इस पोस्ट की अंतिम तक पढ़े आशा है आप समझ जाएंगे  ।

Bhagwan Hote Hain Ya Nahin
Bhagwan Hote Hain Ya Nahin

bhagwan hote hain|| भगवान  हैं 

 किसी महान आदमी का कहना है कि आप जो भी करोगे उसमें आपको विफलता मिलेगी । आप किसी भी काम करने जाओगे तो वह काम पूरा नहीं होगा। असफलता तब तक मिलेगा जब तक आपकी आंखें नहीं खुल जाती । इसके बात अपने अंदर जो विश्वास होता है वह खत्म होता है। जब ईश्वर आपके साथ होते हैं तो आपको बिल्कुल अकेला महसूस होता है । आप नहीं समझ पाओगे आपको भविष्य में क्या करना है।

आप खुद को ऐसी स्थिति में महसूस करोगे जहां आपकी कोई भी व्यक्ति मदद नहीं कर सकता ।आप अपनी परेशानी किसी को शेयर नहीं कर सकत ।अगर किसी व्यक्ति को परेशानी बता भी दो तो यह उनके लिए बहुत छोटी बात होगी या वह व्यक्ति आपकी बातों पर ध्यान नहीं देंगे । आपके जीवन में सफलता का और दुख चरम सीमा पर होगा। आपको लगेगा इस दुख से ज्यादा और क्या बुरा हो सकता है।

 

 भगवान होते हैं या नहीं है इन विषय पर चर्चा करते हैं वक्त एक उदाहरण के रूप में देखा जाए तो महान संतों का जीवन देखा होगा । सभी अपने जीवन में बड़ी से बड़ी दुखों में गिरे और उन महान पुरुषों के अंदर वैराग्य आया और इस जीवन तथा भौतिक सुख से आगे ईश्वर को जानने के लिए उनके मन में प्यास जागी थी।

अंत में उन लोगों ने ईश्वर का साक्षात्कार भी प्राप्त किया। इन दुखों से इंसान टूट तो जाता है। लेकिन इन्हीं दुखों से उसमें ईश्वर के प्रति प्रेम भी विकसित होता है ।वह यह समझ जाता है कि संसार में सारे सुख नहीं है। 

 

कुछ ऐसा है इस संसार से परे है और वह शायद ईश्वर ही है। ईश्वर हमें सबसे पहले हारना सिखाते हैं क्योंकि जब तक आप हार को नहीं समझेंगे आप जीत को भी नहीं समझ सकते हो ।जब आपकी सारी उम्मीदें टूट जाएंगे तब आपके भीतर एक खोज शुरू होगी। इससे आप आपने कमियों के तलाश में रहोगे।

 

 अपने जीवन में जो कुछ खो दिया है या जिस में भी आप असफलता रह गए हो, उसका कारण ढूंढोगे। आप खुद से सवाल करोगे आपके चरित्र में बदलाव आएगा जब आप खुद से जोड़ने लाओगे तब कमियों को बाहर निकलने की कोशिश करोगे। आप पहले से अधिक शांत स्थिर चीजों को गहराइयों से देखने वाला बनने लगते हो ।

 Bhagwan Hote Hain Ya Nahin || क्या भगवान सच में होते हैं ?
Bhagwan Hote Hain Ya Nahin

 

 जब भी हम ईश्वर के रास्ते पर जाते हैं तो वह सबसे पहले हमारे अंदर परिवर्तन लेकर आता है ताकि हम उसकी भाषा को समझ सके। जब तक हम ईश्वर की गुणों को नहीं समझ सकेंगे तब तक भगवान और उसकी प्रेम को समझ नहीं सकेंगे । इसलिए ईश्वर हमारे अंदर बदलाव लाते हैं। हमें उनकी भाषा को समझना सिखाते हैं चाहे दुख हो चाहे सुख हो। किसी भी जरिए से संसार में होने वाली सारी घटनाएं एक नाटक के रूप में देखने शुरू कर दोगे ।

 

 आपके अंदर साक्षी भाव आजाएगा ।आपके लिए यह संसार एक नाटक होगा इससे ज्यादा और कुछ भी नहीं ।आपको महसूस होने लगा कि आप ईश्वर की बहुत निकट हो, तभी आप को सबसे बड़ा झटका लगेगा। यह ईश्वर की सबसे बड़ी परीक्षा होती है। यह आपकी विश्वास आपकी बुद्धि हर चीज तोली जाएगी ।

इसके बाद आपको ऐसा लगेगा ईश्वर आपके साथ हर वक्त मौजूद है। आप इस अनुभूति को पाकर मदमस्त रहेंगे और आपको ऐसी शांति और आनंद की अनुभूति होगी जिससे बातों के द्वारा नहीं कहा जा सकता ।

 

Bhagwan nahin hote || भगवान नहीं है

 

     भगवान जैसी भी चीज है ।थोड़ा क्या है कि जिंदगी में भी सहारा मिल जाता है । इसलिए कुछ लोगों ने कल्पना कर लिए हैं कि भगवान की अस्तित्व है ।लेकिन कुछ लोग ऐसा मानते हैं भगवान वास्तव में नहीं है और कुछ लोग मानते हैं । भगवान वास्तविकता से कोई ज्यादा बड़े हैं ।कुछ लोग ऐसा मानते हैं कि भगवान को विश्वास करने से शांति मिलती है ।

 

 कोई हमारे ऊपर है या सर्वोच्च पद पर है इसलिए भगवान को विश्वास करने से शांति मिलती है, हो सकता है शांति के लिए हमने एक ऐसा कांसेप्ट बनाया है लेकिन सच में कहा जाए कि केवल शांति की अगर बात हो, तो एक ऐसी चीज जो असल में नहीं है । क्या वह चीज आपको शांति दे सकते हैं ?हम उदाहरण के तौर पर लेते हैं यदि किसी सुपरमैन को पूजा करें सुपरमैन है तो काल्पनिक किंतु सुपरमैन को शक्तिशाली मानते हैं ,तो इन्हें पूजने से क्या शांति मिलेगी ?

नहीं मिल सकती है तो हम देखते हैं ,लोगों को दुनिया में मन की शांति प्राप्त होती या नहीं होती भगवान एक ऐसा विषय वस्तु है जिसकी समाधान आज तक हो नहीं पाया। विश्व के सभी धर्म में ईश्वर की पूजा किसी ना किसी के आधार पर क्या जाता है। लेकिन इसी बीच दुनिया में ऐसे भी नास्तिक लोग हैं जो भगवान को विश्वास नहीं करते हैं  । जो धर्म के अनुसार चलते हैं भगवान को मानते हैं उनके अनुसार जैसे चेयर टेबल कुर्सी पंखे लाइट मोबाइल आदि वस्तु मनुष्य के द्वारा निर्मित है ।

इसलिए इन चीजों को हमेशा दिखाई देता है लेकिन भगवान सृष्टि के पूर्व विद्वान था। इसलिए भगवान को दिखाई नहीं देता है । ईश्वर मनुष्य के द्वारा कोई वस्तु में दिखाई नहीं देता है  । 

 

जहां पर भगवान होता है वहां प्रकाशित होता है। इन विषयों पर चर्चा करते हुए नास्तिकों की कहना है कि भगवान मनुष्य के द्वारा निर्मित है। भगवान नाम मनुष्य ने अपने स्वार्थ के लिए दिया है । मनुष्य जो भी कर्म करता है उसको कर्मों के अनुसार ही फल मिलेगा । समाज में बहुत सारे ऐसे अंधविश्वास फैला हुआ है ।

नास्तिकों के अनुसार सूर्य, चंद्र , पृथ्वी,पहाड़ , पर्वत , जलवायु आदि चीजें अगर भगवान के द्वारा सृष्टि हो तो भगवान भी एक जैसा होना चाहिए । फिर क्यों अलग-अलग धर्मों के लोग ईश्वर को भिन्न-भिन्न प्रकारों से पूजा करते हैं।

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 जैसे कि दार्शनिक वांटेड रसल ने एक कल्पना करने के लिए कहा था की एक केतली सूर्य के चारों ओर घूम रही है । जिससे किसी दूरबीन से देखा नहीं जा सकता । इस तर्क को झूठ नहीं प्रमाणित किया जा सकता ।लेकिन अगर कोई यह दावा करें की केतली में चाय भी भरी है और केतली खाली है तो यहां एक विरोधाभास जन्म लेता है ।

हम कह सकते हैं ऐसे कोई केतली का अस्तित्व नहीं है जो एक ही समय पर खाली भी हो और भरी भी हो । ऐसे ही किसी गॉड ,भगवान , अल्लाह का अस्तित्व नहीं है जो एक ही साथ सर्वशक्तिमान सब कुछ जानने वाला दयालु और न्याय दाता भी हो ।

 

 कल्पना करें भगवान को पता है कल 12:00 बजे अमोक स्थान पर बारिश होगी क्या ईश्वर इसे बदल सकता है हां । तो वह सर्वज्ञ नहीं है क्योंकि उससे इस समय पता है की बारिश होगी लेकिन उसकी निर्णय की वजह से बारिश नहीं होती तो सब कुछ नहीं जानता । किसी सर्वशक्तिमान ईश्वर के होते हुए मनुष्य का आजाद होना संभव नहीं है । ईश्वर यदि सर्वज्ञ है तो वह हर एक मनुष्य का भविष्य जानता है ।

Bhagwan Hote Hain Ya Nahin

 भगवान यह भी जानता है कि अमुक व्यक्ति अमुक समय पर क्या करेगा उदाहरण के लिए दुकान पर अगर जाए तो ईश्वर को पहले से पता है मैं टॉफी खरीद लूंगा या कुछ खराब पदार्थ । अगर ईश्वर को पहले से ही पता है कि मैं टॉफी ही खरीदूंगा तो, मैं किसी भी हालत में खराब पदार्थ को नहीं खरीदूंगा यानी कि मैं आजाद नहीं हूं । 

 

लेकिन मैं टॉफी और खराब पदार्थ को खरीदने के लिए आजाद हूं तो इसका अर्थ है भगवान को तब तक मेरी मर्जी का पता नहीं चलता, जब तक मैं इन दोनों चीजों को नहीं खरीद लेता लेकिन लेकिन ईश्वर अभी सर्वज्ञ है । दुर्भाग्य का कर्तव्य पाया जाता है ।

अधिकतर धर्मों में भाग्य के विषय में कुछ बातें मिलते हैं ईश्वर ने जन्म से पहले ही सब कुछ तय कर देता है इंसान कैसे इस धरती पर जन्म लेगा । कैसे  वह तरक्की करेगा कैसे वह नष्ट होगा ? भगवान ने सब कुछ पहले से ही निर्धारित कर देता है । लगभग सभी धर्मों में ईश्वरीय का न्याय मौजूद होता है ।

कोई मनुष्य अगर सही या गलत काम करता है तो उसको स्वर्ग नरक या पुनर्जन्म के द्वारा पुरस्कार दिया जाएगा । लेकिन भगवान सर्वज्ञ है । साथी भाग्य विधाता भी  । तो इंसान कुछ भी करने के लिए आजाद  नहीं है । अगर इंसान कुछ भी करने के लिए आजाद नहीं है तो वह दंड या पुरस्कार का भी भागीदार नहीं है ।

 

 कल्पना कीजिए राम की मृत्यु कालू के हाथ में है लेकिन इसका उल्टा हो जाता है, तो क्या कालू की दंड की भागीदार होगा । इसका कोई दूसरा कोई चारा है । उसने तो केवल मात्रा भगवान का मर्जी का पालन किया, जरा चिंतन करके देखिए भगवान पहले इंसान के भाग्य में गलत काम लिखे हैं ।

बात में उन्हीं कामों के लिए उसको दंड दे ,क्या ऐसी भगवान को न्यायदाता कहा जा सकता है? यदि पहले भगवान को मेरे जन्म से पहले पता था मैं बड़ा होकर तर्कशील बनूंगा और भगवान के अस्तित्व पर सवाल करूंगा तो क्या ईश्वर ने मुझे नरक में जाने के लिए जन्म दिया है ।

 हम ईश्वर की न्याय की बात करते हैं अगर हम ईश्वर की न्याय पर विश्वास करते हैं, तो इस संसार में न्याय की भावना ही खत्म हो जाता है । कल्पना कीजिए ईश्वर पर यकीन करके न्याय की साथ ही इस दुनिया का हर आदमी खड़ा हो जाए तो क्या होगा?

तो कोई भी आदमी अब अपना खराब काम ईश्वर पर डाल सकता है? इस व्यवस्था से चलते हुए कोई व्यक्ति अगर खराब काम करें तो फिर भगवान का लिखा हुआ था यह काम ऐसे भी सूरत में किसी भी तरह न्याय व्यवस्था नहीं हो सकता ।

 मनुष्य सभ्यता के शुरू से इंसान न्याय की व्यवस्था आगे ले जाते हैं  ।इंसान को न्याय पर यकीन था ना आज भी है । इसलिए आदि सभ्यता से लेकर आधुनिक सभ्यता तक इंसानी न्याय की व्यवस्था नहीं है ।इस दुनिया में न्यायालय है इससे बड़ा सबूत कोई नहीं है ।

कोई न्यायशील भगवान नहीं है अगर ईश्वर दुनिया में होता तो उसके न्याय व्यवस्था हर जगह में होता और इतने और अन्याय अत्याचार नहीं होते दुनिया में कोई बुराई नहीं होती । दुनिया में बुराई खत्म हो चुकी होती ।दुनिया में सब कुछ अच्छी होती है क्योंकि उसकी व्यवस्था सब स्थान व्यवस्था भगवान के हाथ में है ।

 

Stephen Hawking के अनुसार भगवान

 

Stephen Hawking एक महान वैज्ञानिकStephen Hawking इस समय की एक प्रसिद्ध वैज्ञानिकों में से एक है । शारीरिक समस्या होने के कारण भी उन्होंने अंतरिक्ष के कुछ ऐसे रहस्य से सवाल उठाया है, जिस पर दुनिया आज भी आश्चर्य है  ।उनकी किताब है जिसका नाम A BRIEF HISTORY यह किताब वर्तमान समय में बहुत जनप्रिय माना जाता है  ।Stephen Hawking के अनुसार अपनी पुस्तक में लिखता है।

 यह जो ब्रह्मांड है यह किसी भी भगवान के द्वारा सृष्टि है और ना ही भगवान का अस्तित्व  ।कोई भी भगवान रूपी नाम या भगवान इस ब्रह्मांड को जन्म नहीं दे सकता है । साल 1988 में उन्होंने अपनी एक पुस्तक में समय का संक्षिप्त इतिहास लिखा था और उन्होंने कहा था कि ब्रह्मांड की सर्जन में भगवान की भूमिका है ।

 लेकिन नए पाठ में कुछ जब उन्होंने और पुस्तक लिखी थी उस पुस्तक की चैप्टर शुरू में अमरीकी भौतिकी विज्ञान लियोनार्डो के साथ यह लिखा की किसी भी सिद्धांत को या किसी भी एक निर्माण को पूरा करने के लिए भगवान रूपी यह भगवान होना जरूरी नहीं है । यानी कि  आवश्यक नहीं है ।

उन्होंने कहा है किसी भी चीज को प्रकाश करने के लिए या प्रकाश बनाने के लिए जरूरी नहीं है कि भगवान की भूमिका को लेकर उस चीज को उजागर करें । यह जरूरी नहीं है यानी किसी भी प्रकाश को आगे बढ़ाने के लिए अगर हम भगवान का नाम लेते हैं तो यह सरासर गलत है ।

सर आइज़क न्यूटन के अनुसार भगवान

 सर आइज़क न्यूटन जी कहते हैं कि ऐसा हो सकता है ब्रह्मांड को बनाने में या उसकी डिजाइनिंग में भगवान की बहुत बड़ी भूमिका हो सकती है । फिर उन्होंने बाद में यह भी स्वीकार किया हो सकता है यह सिर्फ एक झूठ है यह सच्चाई ना हो कुछ और भी हो सकता है।

वेदों के अनुसार भगवान

वेदों के अनुसार भगवान की विभिन्न शक्तियां ही अनेक देवताओं के नाम से पुकारी जाती है  ।पर वह एक ही है इसलिए गुण कर्म स्वभाव के अनुसार उस परमात्मा की उपासना करें ,यानी भगवान सर्वत्र व्याप्त है ।

विशाल संसार अंतरिक्ष कोटि- कोटि ब्रह्मांड के कोण-कोण में विद्यमान है ।भगवान की असीम सत्ता विद्यमान है । वही इस सब का पालनकर्ता है ।उपनिषद के अनुसार हर वस्तु में जड़ चेतन में हमारे रोम- रोम में ईश्वर का निवास है ।वह निराकार परमेश्वर है । भगवान किसी को दिखाई नहीं देता परंतु वही हमारी प्राणशक्ति है सोते जगते हर समय वह हमारे साथ रहता है ।

हमारी भीतर भी रहता है बाहर भी और चारों ओर रहता है, जैसे गुब्बारे के अंदर हवा रहते हैं बाहर भी हवा रहते हैं पर वह हमें दिखाई नहीं देता है । जैसे दूध के प्रत्येक बूंद में घी का अंश छिपा होता है । उसी तरह भगवान भी सर्वव्यापक है  ।संसार के सभी जीव जंतुओं में पशु पक्षियों में सभी प्राणियों के रोम- रोम में उस परमेश्वर की सत्ता विद्यमान है।

उसके लिए जात- पात का पूर्व- पश्चिम या उत्तर-दक्षिण का कोई झगड़ा नहीं है। सभी उसके लिए एक समान है । इस सर्वव्यापक परमेश्वर की अनेकानेक शक्तियां है । इन्हें संसार के अलग-अलग धर्मों के आस्था रखने वाले लोक अलग-अलग नाम से बुलाते हैं । सब मनुष्य का परमपिता परमेश्वर एक ही है ।

वही इंद्र, मित्र , वरुण , अग्नि ,यम आदि सब कुछ है । चाहे उसे राम को हो या कृष्ण, दुर्गा या काली , शिव शंकर कहो या अल्लाह कहो या गॉड नाम ।

भगवान के गुणों का महत्व है उन गुणों को आप अपने जीवन में उतारने उनके अनुसार आचरण करने और जीवन में व्यवहार करने को ही परमात्मा की उपासना कहते हैं । इस प्रकार उपासना करने से तथा बारंबार की अभ्यास करने से बे गुण मनुष्य के स्वभाव का गुण बन जाते हैं।वह श्रेष्ठता को प्राप्त करते हुए देवता की ओर अग्रसर होता है ।

मनुष्य यह समझता है कि ईश्वर केवल मात्र मंदिर के अंदर ही होता है और बाहर भगवान नहीं होते हैं । वेदों के अनुसार भगवान का स्वरूप इस प्रकार कहा गया है की सच्चिदानंद स्वरूप ,निराकार ,अजन्मा, अमर , न्यायकारी, दयालु , अनंत ,निर्विकार, अनादि ,अनुपम , सर्व आधार, सर्वेश्वर सर्वव्यापक , सर्व अंतर्यामी ,अजर , अभय , नित्य,पवित्र और सृष्टिकर्ता बताया है यह आर्य समाज के दूसरे नियम में महर्षि दयानंद जी ने बताया है।

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 पेरियार रामास्वामी नायकर के अनुसार भगवान

 

 पेरियार रामास्वामी नायकर के अनुसार भगवान नहीं है और ईश्वर बिल्कुल नहीं है । जिसने ईश्वर को रचा वह बेवकूफ है जो ईश्वर का प्रचार करता है वह दुष्ट है जो ईश्वर की पूजा करता है वहां बर्बर है । ग्रेट पेरियार नायकर के पहला सवाल था 

1.क्या तुम कायर हो जो हमेशा छिपे रहते हो कभी किसी के सामने नहीं आते?

  1. क्या तुम खुश मत परस्त हो जो लोगों से दिन रात पूजा अर्चना करवाते हो?
  2. क्या तुम हमेशा भूखे रहते हो जो लोगों से मिठाई दूध घी आदि लेते रहते हो?
  3. क्या तुम सोने की व्यापारी हो जो मंदिर में लाखों दोनों सोना दवाई बैठे हो?
  4. क्या तुम व्यभिचारी हो जो मंदिरों में देवदास या रखते हो ?

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 पुराण के अनुसार भगवान

पुराण के अनुसार भगवान के दो रूप होते हैं । एक साकार एक निराकार । इन ब्रह्मा परमात्मा असंख्यक ब्रह्मांड के स्वामी है जैसा कि ब्रह्म स्वरूप श्री कृष्ण जी ने अर्जुन को गीता ज्ञान देते समय अपनी विराट स्वरूप में अपने असंख्यक विभूतियों का वर्णन किया था जिसका वर्णन हमें भागवत पुराण में मिलता है श्री कृष्ण जी ने कहा था || यदि में गिरने लागू तो किसी समय परमाणु हॉकी गणना तो कर सकता हूं, परंतु आपने विभूतियों की गणना नहीं कर सकता; क्योंकि जब मेरे रचे हुए कोटि-कोटि ब्रह्मांड की भी गणना नहीं हो सकती, तब मेरी विभूतियों की गणना तो हो ही कैसे सकती है|| 

 

 शिव पुराण के अनुसार ब्रह्मा और विष्णु जी से सदा शिव जी कहते हैं कि ,मेरे दो रूप है- सकल और निष्कल। किसी के ऐसे रूप नहीं है। सर्वप्रथम में स्तंभों रूप से प्रकट हुआ; फिर आपने साक्षात रुप से ‘ब्रह्मा भाव मेरा निष्कल रूप है ,और महेश्वर भाव मेरा सकल रूप है यह दोनों ही सिद्ध रूप है।

 

 योगसूत्र में भगवान का लक्षण स्वरूप

 योगसूत्र में भगवान का लक्षण बताया गया है कि क्लेश ,कर्म, विपाक और आशय चारों विषयों से संबंधित नहीं होता है और इन विषय पर जो पुरुष बिल्कुल ध्यान नहीं देते हैं जो समस्त पुरुषों से उत्तम है वही भगवान तथा ईश्वर है। जब हम कोई कार्य करता है उसका कारण होना आवश्यक है जैसे कोई व्यक्ति पौधे के लिए बीच रोपण करता है  ।उसका भी एक निर्दिष्ट कारण होता है ।

इस भौतिक जगत में जो भी कार्य होता है उसका कुछ ना कुछ कारण होता है । योग सूत्र में ईश्वर का स्वरूप बताते हुए यह भी कहा गया है कि उस भगवान में सर्व ज्ञाता का कारण अर्थात ज्ञान निरतिशयक है यहां पर निरतिशयक का अर्थ है जिससे भरकर दूसरी कोई भी वस्तु ना हो वह है ईश्वर।

 

Bhagwan Hote Hain Ya Nahin ||  बौद्ध धर्म के अनुसार भगवान

बौद्ध धर्म के प्रवर्तक गौतम बुद्ध जी ने भगवान के बारे में कहा, भगवान सूर्य की तरह साक्षात नहीं है। भगवान कभी भी साक्षात रूप में दिखाई नहीं पड़ेगा ।अगर दिखाई भी दे तो वह ईश्वर नहीं होगा । तुम भगवान मानते हो या नहीं मानते हो असल में यह प्रश्न गलत है और यह प्रश्न पूछना भी गलत है । लेकिन सीधे अर्थ में ईश्वर को माना नहीं जा सकता, बल्कि ईश्वर को जाना जा सकता है ।

अगर ईश्वर को जान भी जाओगे तो उसका अर्थ कर नहीं पाओगे । तुम अपना अनुभव किसी को दे नहीं सकते हो, लेकिन भगवान का अनुभव होना दूसरे को सहायता कर सकते हो  ।इसलिए गौतम बुद्ध ने ईश्वर के बारे में स्पष्ट नहीं कहा है।